बाबा जी की प्यारी साध संगत जी , आज जो मैं आपको बाबा जी का सरप्राइज बताने जा रही हूँ, उससे पहले जो मैं आपको बात बताने जा रही हूँ, वो सुनकर आपको अपने सतगुरु अपने बाबा जी के प्रति विश्वास और दृढ़ हो जाएगा. ये जो हर वक्त की चिंता में हम डूबे रहते है, ये सुनके चिंता करनी ही छोड़ दोगे।
वो कहते है ना- फना कर दे अपनी सारी जिंदगी सतगुरु की मोहब्बत में, यही वो प्यार है बंदे जिसमें बेवफाई नहीं होती।
एक बार की बात है, सत्संग चल रहा था, एक पति पत्नी और गोद में एक छोटा सा बच्चा उनके साथ था, बच्चा यही कोई आठ महीने का था, तो सत्संग चल रहा और वहाँ उस वक्त के मौजूदा सतगुरु बैठे हुए थे और वहाँ उन पति पत्नी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को माथा टेका, बाबा जी ने उन तीनों को देखा और बड़े ही प्यार से उस आठ महीने के बच्चे को भी देखा ,और फिर सिमरन पर बैठ गए .जब सत्संग की समाप्ति हुई तो उन माता पिता का घर जाने को मन ही नहीं किया ,बड़े उदास थे और दोनों का रोना रुक ही नहीं रहा था ,अब बाबा जी तो जानी जान है ,उन्होंने सेवादार को भेजकर उन दोनों पति पत्नी को अपने पास बुलवाया, अब बाबा जी से तो कुछ छुपा नहीं है फिर भी पूछते जरूर है, कि क्या हुआ क्यों रो रहे हो दोनों ,तो उस आठ महीने के बच्चे के पिता ने बताया कि एक बहुत बड़ा ज्योतिषी है उसने हमें बताया है कि हमारे बच्चे की उम्र केवल तीन साल है ,तीन साल की उम्र होते ही हमारे इस बच्चे को ऐसी जबरदस्त चोट लगेगी कि या तो ये मर जाएगा या बच भी गया, तो इसकी एक आँख नहीं बच पाएगी और बड़े होकर इतना अपराधी किस्म का बनेगा ,शराबी कबाबी बनेगा कि सारे कुल का नाम बदनाम करेगा, पिता रोते हुए बोला, कि जब हमने ये सुना तो हमारे पैरों से तो जमीन ही खिसक गयी, बाबा जी आपके पास इसीलिए आए है क्योंकि किसी ने हमसे कहा कि बाबा जी के पास जाओ ,वही संभाल करेंगे वो ही कोई रास्ता बता सकते है अब तो ,फिर बाबा जी उनसे बोले- क्या ज्योतिष ने इसका कोई इलाज बताया है, तो वो बच्चे के माता पिता बोले कि ज्योतिष ने कहा है कि इसका कोई इलाज नहीं है, तो बाबा जी बोले कि ज्योतिष ने कहा तो सही है, सच्चा ज्योतिष है वो ,लाखों में कोई इतना सच्चा होता है, क्योंकि बाबा जी तो जानी जान होते है वो तो खुद रब है ,तो बाबा जी ने भी ज्योतिष की बात को सच बता दिया।
साथ संगत जी ,चौदह विद्याओं में से एक विद्या होती है ये ज्योतिष विद्या ,पहले के जो लोग होते थे उनमें शफा होती थी ,बहुत meditation के साथ जब विद्या प्राप्त करते थे तो उनमें power आ जाती थी कुछ भी जानने की ,हर field में कुछ ethics होते हैं ,ethics कहते हैं आचार, विचार, moral values जो सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं ,करनी में लाई जानी चाहिए, हर इंसान चाहे उसका कोई भी profession हो उसको अपनी field के ethics को follow करना चाहिए ,हमें अपने हर काम में ईमानदार होना चाहिए अब ज्योतिष विद्या को ही ले लो जिनके पास सच्ची ज्योतिष विद्या होती है, वो उस विद्या को किसी को नहीं बताते, चाहे कितना भी धन का लालच देके देख लो ,क्योंकि उन्हें इस विद्या में सिखाया जाता है, के इस विद्या को धन के बदले में बताना नहीं है, वो ऐसे ही बता देते है।
तो बाबा जी उन माता पिता से बोले कि कोई विरला ही ज्योतिष होता है जो बिना लालच के सच बता देता है उस ज्योतिष ने बिलकुल सच बताया है तुम्हें, यह सुनकर वो दोनों माता पिता और ज़ोर से रोने लगे तो बाबा जी बोले, घबराओ मत, यहाँ गुरु नानक के दर पर आए हो तो यहाँ से कोई खाली हाथ नहीं जाता, बस हम लेने वाले होने चाहिए, हमारा बर्तन साफ और सीधा होना चाहिए उलटे बर्तन में तो कुछ नहीं भरेगा .अब छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जैसी shape दोगे वो वैसे ही बन जाएँगे बच्चे मन के साफ होते हैं ,सच्चे होते हैं ,मालिक के हुकुम पर जल्दी चलने की क्षमता होती है, जो हम बड़ों में नहीं होती ,इसीलिए मालिक के दर पर हमें बच्चा बनकर ही जाना चाहिए, बिलकुल खाली और साफ, तो बाबा जी उन माता पिता से बोले कि इस बच्चे को गुरु नानक का बना दो ,उनको ही समर्पित कर दो तो वो माता पिता बोले, वो कैसे बाबा जी आप जैसा कहोगे हम करेंगे ,तो बाबा जी बोले ,इस बच्चे को सिमरन से जोड़ दो ,पहले अपना सिमरन पक्का करो ,जब भी सिमरन पर बैठो तो इस बच्चे को सिमरन करने के लिए अपने साथ गोद में बिठा लेना चाहे बच्चा सो रहा हो या खेल रहा हो जैसे बच्चे का खाने का टाइम होता है तो हम खाना खिलाते है खेलने का टाइम होता है तो हम खेलने देते है, ऐसे ही सिमरन का भी एक टाइम बनाओ जिसमें जब तक तुम सिमरन पर बैठो ,तो बच्चे को भी अपने साथ बिठाओ ,और उसको जापजी साहिब का पाठ थोड़ा थोड़ा याद करवाओ, बच्चे के सामने जपो जिससे वो भी तुम्हे देख कर जपे .फिर बाबा जी बोले ये जो वाणी की ताकत होती है इससे सारे दुःख सारी तकलीफें टल जाती है, वो कहते है ना- दुख दर्द जम नेड़ ना आवे कहो नानक जो हर गुण गावे।
अब उस माता पिता ने बाबाजी का पूरा हुकम माना और यही किया ,सुबह हो शाम हो जब भी सिमरन पर बैठते थे .उस बच्चे के साथ गोद में उसको बिठाकर जोर जोर से पूरा पाठ बोल बोलकर नितनेम पढ़ते, जिससे उस बच्चे के कानों तक हर रोज़ वाणी पहुँचती और हर रोज़ वो माँ बाप पाठ करते हुए अरदास करते, कि मालिक बख्श दो हमारे गुनाह ,रक्षा करो वाहेगुरु, इसी तरह से तीन साल जैसे ही हुए तो एक दिन बच्चा बड़ी ऊँचाई से सीढ़ियों से गिरा और इतनी ज़ोर से गिरता चला गया कि उसका सर फट गया ,पूरा दो इंच गहरा ज़ख्म हो गया था और जैसे ही hospital लेके गए तो doctor हैरान ,के आँख के पास इतना गहरा ज़ख्म है पर फिर भी आँख बच गयी ,अब यहाँ ज्योतिष की बात भी सच हो गयी, मुसीबत आयी पर सिमरन से सूली का शूल बन गया, और ये सच्ची ऐतिहासिक घटना है साथ संगत जी, आगे जाके वही बच्चा doctor बना वो भी Air force में, Air force में तो आपको पता ही है कि वहाँ शराब और मांस का सेवन भी होता है पर सत्संग के प्रभाव के आगे उस बच्चे पर संगति का जरा भी प्रभाव नहीं पड़ा, बाणी सुन सुन के बड़ा हुआ ,ऐसा प्रभाव पड़ा कि मन इतना पक्का हो गया कि बुरी संगत का भी कोई असर नहीं पड़ा।
बाबा जी कहते हैं कि बालक अगर कोख में है और माँ नाम जपती है सिमरन करती है, तो बच्चे पर सीधा प्रभाव पड़ता है और वो भगत ही पैदा होगा और अगर नाम नहीं भी जपा उस वक्त ,तो पैदा होने के बाद से ही रोज सिमरन करते हुए बच्चे को साथ बिठाकर या उसको गोद में बिठाकर सिमरन जरूर करें तो बालक गुरमुख ही बनेगा ,मनमुख नहीं बनेगा, कभी बुरी संगत में जाएगा भी तो भी बाबा जी उसको बचा लेंगे या तो ऐसी परिस्थिति पैदा कर देंगे कि बुरी संगत वाले खुद ही पीछे हट जाएँगे या उस गुरसिख की मति इतनी मजबूत हो जाएगी कि बुरी संगत की तरफ आकर्षित ही नहीं होगा, यहाँ माँ को बहुत ही एहतियात से और शुरुआत से ही अपना फर्ज निभाना है और अपने बच्चे को सत्संग से जोड़ना है।
साध संगत जी आप खुद ही सोचो अगर हमारे घर में भी सत्संग का environment ना होता तो क्या आज हम बाबा जी की प्यारी बातें सुनते? हमें कोई भी परेशानी होती है, तो हम सबके पास एक ही जवाब होता है एक दूसरे को समझाने के लिए और वो ये ,कि बाबा जी है ना, सब ठीक हो जाएगा, और जो होगा बाबा जी की उसमें खुशी ही हासिल होगी, कई बार हम किसी बड़ी परेशानी में आ जाते है पर अगर हम पूरे विश्वास के साथ अपने सतगुरु अपने बाबा जी पर विश्वास करते है तो उस परेशानी से बाबा जी हमें ऐसे निकालते हैं कि हम सरप्राइज हो जाते हैं ,अब उस बच्चे की गिरने के बाद भी आँख बच गयी तो ये बाबा जी का सरप्राइज ही तो था कि ना उम्मीदी में भी उम्मीद जाग गयी और किस्मत का लिखा ही बदल गया, ये तो प्यार और सच्चे विश्वास का रिश्ता है अगर अपने सतगुरु पर सच्चा विश्वास करोगे तो वो सतगुरु अपना वादा जरूर निभाएँगे और हमेशा हमारी संभाल करेंगे।