ये सच्ची घटना कुछ समय पहले की है, बाबा जी विदेश में थे, बाबा जी ने सत्संग फ़रमाने जाना था, सत्संग सेंटर दूर था, एक घंटा रह गया था सत्संग शुरू होने में , बाहर बाबा जी की गाड़ी और साथ में चलने वाली सारी गाड़ियां खड़ी हो गई थी, फिर अचानक बाबाजी का हुक्म आया, कि हम एक ही गाड़ी से जाएंगे, सारे सिक्योरिटी सेवादार परेशान हो गए और बाबा जी को request करने लगे, कि बाबा जी ऐसा मत कीजिए , हमारी सेवा आपकी सुरक्षा की है, कृपया आप सारी गाड़ियों के साथ ही जाएं, लेकिन बाबा जी अपनी बात पर अडिग रहें, और सेवादारों को झुकना ही पड़ा।
फिर साध संगत जी अंतिम निर्णय ये हुआ, कि बाबा जी के साथ पांच सेवादार जाएंगे , जिसमें एक सेवादार गाड़ी चलाएगा और बाबा जी आगे बैठेंगे बाकी के 4 सेवादार पीछे बैठेंगे।
फिर साध संगत जी बाबा जी गाड़ी पर बैठ गए और सारे सेवादार भी गाड़ी पर बैठ गए, कुछ दूर जाकर बाबा जी की गाड़ी बंद हो गई, काफी कोशिश की पर स्टार्ट नहीं हुई, सत्संग को लेट ना हो जाए तो सेवादारों ने गाड़ी से निकलकर आसपास देखा, तो दूर-दूर तक कोई नहीं था, लेकिन एक टैक्सी खड़ी हुई थी, फिर सेवादार उसे टैक्सी वाले के पास गए और उससे कहा हमारी गाड़ी खराब हो गई है, क्या आप हमें पास के शहर तक ले जाएंगे, फिर वह गाड़ी वाला ड्राइवर बड़े ही रूखे स्वभाव से बोला, नहीं मुझे नहीं जाना।
फिर क्या होता है साथ संगत जी, सारे सेवादार परेशान हो गए, सोचने लगे कि यहां कोई आसपास गाड़ी भी नहीं दिख रही, फिर सेवादार एक बार और बिनती करते हैं ले जाने के लिए लेकिन वो साफ मना कर देता है, बोलता है मैं नहीं ले जाऊंगा, अब सेवादार उस ड्राइवर को बोलते हैं कि हमारे बाबा जी को जाना है बड़ा लेट हो रहा है, तो वो टैक्सी ड्राइवर बोलता है, मैं किसी बाबा को नहीं जानता, मुझे बख्शो और जाओ यहां से।
साध संगत जी अब उसे क्या पता, सतगुरु बख़शणहार बक्शने ही तो आए हैं, फिर साध संगत जी सेवादारों ने बाबा जी को बताया कि बाबा जी एक ही टैक्सी है, लेकिन उसका ड्राइवर जाने से मना कर रहा है, तो बाबाजी बोले कोई नहीं मैं एक बार बात करके देखता हूं, फिर क्या होता है साध संगत जी बाबा जी उसके पास जाते हैं और बोलते हैं कि भाई जी क्या आप हमें ले जायेंगे, हम बहुत लेट हो रहे हैं।
फिर वो ड्राइवर गुस्से में बाबाजी को मना करने ही वाला था, लेकिन जैसे ही बाबा जी को देखता है तो देखता ही रह जाता है और मना नहीं कर पाता, साध संगत जी फिर बाबा जी और सेवादार गाड़ी में बैठ जाते हैं, सीट के हिसाब से ज्यादा सेवादार होने के कारण, पिछली सीट पर सेवादार बड़ी मुश्किल से फस फस कर बैठे, इस ड्राइवर को अपनी गाड़ी में भीड़ देखकर गुस्सा और बढ़ जाता है, उसके गुस्से की हद और बढ़ गई जब गाड़ी की ब्रेक लगने पर एक सेवादार अपनी जगह से हिल कर ड्राइवर की सीट पर आकर टकरा जाता है, फिर उस ड्राइवर का गुस्सा सातवें आसमान पर होता है, वो गुस्से में बोलता है अगर अबकी बार मुझे पीछे से धक्का आया तो मैं उसी वक्त तुम सबको गाड़ी से उतार दूंगा, अब अगले ही पल जब वो गाड़ी को ब्रेक लगाता है तो एक धक्का और आता है वह झटका इतना तेज था कि उस ड्राइवर की गर्दन को नुकसान पहुंचने ही वाला था, इतने में बाबा जी अपना हाथ रख देते हैं, जिससे उसकी गर्दन को चोट ना पहुंचे, फिर उस ड्राइवर की बोलती उसी वक्त बंद हो जाती है और वो कुछ बोल नहीं पाता।
अब क्या होता है साध संगत जी, थोड़ी दूर जाकर सत्संग घर आ जाता है, जहां बाबा जी ने सत्संग फरमाना था। अब वो ड्राइवर यह दृश्य देखकर हैरान हो जाता है कि जैसे ही बाबा जी गाड़ी से उतरे तो वहां बहुत सारे सेवादार सिक्योरिटी और पुलिस वाले बाबा जी के स्वागत में इतने अनुशासन से खड़े थे और एक कोने में सारी संगत बड़े ही प्यार से बाबा जी को देखते हुए हाथ जोड़कर बाबाजी के प्रेम में आंसू बाहा रही थी।
ये देखकर ड्राइवर सोचता है कि मैं इतना छोटा सा इंसान इतनी बड़ी हस्ती से ऊंची आवाज में बोल गया, वो इतना शर्मिंदा हो जाता है और उसकी आंखों से आंसू बह जाते हैं और सोचता है मैंने इतनी बड़ी हस्ती की बेअदबी की और तब भी बाबा जी मुझसे मुस्कुराते रहे, फिर वो बाहर खड़ा होकर रोता ही रहा और उसे समझ नहीं आ रहा था कि इतने आंसू उसकी आंखों से क्यों बह रहे हैं और जब सत्संग की समाप्ति हुई तो बाबा जी को वापस ले जाने के लिए बहुत सारी सिक्योरिटी की गाड़ियां आकर खड़ी हो गई थी, लेकिन बाबा जी ने बाहर आते ही अपने सेवादारों से कहा कि हम जिस गाड़ी से आए थे उसी गाड़ी में वापस जाएंगे।
बाबा जी ने इशारा करते हुए कहा, वो कोने में खड़ी है गाड़ी, अब बाबा जी उसी ड्राइवर के पास आते हैं और पूछते हैं हमें वापस ले चलोगे, तो उस ड्राइवर का सिर वहीं झुक जाता है, वो कहता है, जी बाबा जी जैसा आप कहें, ये देखकर वहां सारे सेवादार और संगत हैरान हो जाती है।
जैसे ही बाबा जी गाड़ी में आकर बैठते हैं तो वो बाबा जी से अपनी गलती की माफी मांगता है और बोलता है बाबा जी मैं भी सेवा करना चाहता हूं, मुझे सेवा बक्शों, तो बाबा जी बोलते हैं आपकी माता जी की आखिरी इच्छा यही थी कि आप सेवादार बनें तो इसलिए मुझे आना पड़ा साथ संगत जी एक बार बाबाजी जिसका हाथ पकड़ लेते हैं उनकी आने वाली पीढ़ियों पर भी बाबा जी की मेहर रहती है।