साध संगत जी ये घटना अभी कुछ दिन पहले की है खबर आने में कुछ समय जरूर लगा पर आप सुनकर हैरान हो जायेंगे
एक सेवादार परिवार में बच्चे के पेपर थे और पेपर का सेंटर दूसरे शहर में पढ़ गया, साध संगत जी बच्चे के पेपर के लिए तो माता को जाना ही पढता है | साध संगत जी उन्होंने रेल टिकट बुक करवाई फिर घर चले गए | अब क्या होता है साध संगत जी जिस दिन उन्होंने जाना था वो दिन आ गया | साध संगत जी उस दिन सेवादारो के घर की बिजली ख़राब हो गई शार्ट सर्किट हो गया , साध संगत जी सतगुरु तो हमें इशारा देते है पर हम ही हैं जो सतगुरु का इशारा समझ नहीं पाते | फिर क्या हुआ साध संगत जी उन्होंने स्टेशन जाने के लिए गाड़ी निकाली लेकिन गाड़ी स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रही थी | बहुत कोशिश की पर स्टार्ट ही नहीं हुई गाड़ी | मिस्त्री बुलाया लेकिन उससे भी कुछ समझ न आया और वह भी गाड़ी चालू नहीं कर पाया , समय बहुत काम बचा था तो सोचा ऑटो रिक्शा ही कर लेते है फिर बाहर रोड पर आकर ऑटो रिक्शा किया जो स्टेशन तक पंहुचा दे, साध सांगत जी फिर जो हुआ आप सुनकर हैरान हो जाओगे, जिस ऑटो रिक्शा में सेवादार बैठे थे वह कुछ दूर जाकर पलट गया, हांलांकि किसी को कुछ नही हुआ पर साध संगत जी अब भी उनको सतगुरु का इशारा समझ नहीं आया | हम नासमझ हैं सतगुरु हमारी हर पल संभाल कर रहे हैं, सतगुरु तो हमारा इतना ख्याल रखते हैं जितना हम सोच भी नहीं सकते | साध सांगत जी, हमें थोड़े से दुःख क्या आ जाते हैं हमारा तो भरोसा ही डोल जाता है | सतगुरु की हर पल हो रही संभाल दिखाई नहीं देती |
फिर क्या होता है साध संगत जी ऑटो रिक्शा पलटने के बाद भी सतगुरु का इशारा समझ नहीं आया और कुछ भी करके स्टेशन तक पहुुँच ही जाते हैं, मूरख मन को कौन समझाए
और आखिरकार रेल गाड़ी पर बैठ जाते हैं , और वो वही रेल होती है जिसकी आगे दुर्घटना होनी है|
फिर क्या होता है साध संगत जी रेल सफर शुरू हो जाता है, पूरा दिन मुश्किलों से भरा था अब जाकर थोड़ा आराम मिला, सेवादार पति-पतनी भजन सिमरन पर बैठ गए और बच्चो को भी बाबाजी की याद में बिठा दिया , सब बैठे रहे भजन सिमरन पर और अपने घर पर बुज़ुर्ग माता-पिता के साथ एक बच्ची को छोड़ कर आये थे | जो उनकी देखभाल कर सके | अब जो होता है साध संगत जी सुनकर हैरान हो जाओगे, हुआ यूँ के काफी देर बाद भजन सिमरन करते हुए फ़ोन की घंटी बजी , वो फ़ोन उनकी बच्ची का था , बहुत रो रही थी , पूछा तो बोली बड़े पापा गिर गए है कुछ बोल नहीं रहे , और रोती ही जा रही थी , सेवादार सुनकर परेशान हो गए , हिम्मत करके बच्ची से बोले बेटा शांत हो जाओ बाबाजी को याद करो वो सब ठीक करदेंगे और बच्ची से बोले हम आ रहे हैं | फिर उन्होंने कुछ सत्संगियों को फ़ोन करके घर पर भेजा और अगले स्टेशन पर उतर गए , फिर वापस जाने वाली रेल पर बैठ गए , कुछ देर बाद जो रेल दुर्घटना होने की खबर आयी अपने आँसू नहीं रोक पाए क्योंकि उस रेल से बाबाजी ने उन्हें पहले ही उतार दिया था और घर पहुंचे तो बड़े पापा भी ठीक हो गए थे | सारे सत्संगियों को हाल सुनाया , सब रो पड़े
साध संगत जी सतगुरु की रज़ा में राज़ी रहना है , दुःख दे सुख दे शुकर करना है
मीरा बाई फरमाती हैं
हमारे तुम ही हो रखपाल
तुम बिन और नहीं कोई मेरे , भौ दुख मेटणहार